B.Ed Course Rules Change News: शिक्षक बनने के लिए जो भी छात्र तैयारी कर रहें हैं उनके लिए महत्वपूर्ण अपडेट है जरूर पढ़ें। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने बीएड (B.Ed) कोर्स को लेकर नए नियम और दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अब बीएड की पढ़ाई के लिए कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं ताकि शिक्षा का स्तर सुधरे और छात्रों को ज्यादा फायदा मिले। अब से B.Ed की पढ़ाई सिर्फ मल्टी-डिसीप्लिनरी कॉलेज में ही होगी।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के द्वारा लाए गए नए नियमों के मुताबिक अब अकेले बीएड कराने वाले कॉलेज (Single B.Ed College) को अनुमति नहीं मिलेगी। अब बीएड कोर्स केवल मल्टी-डिसीप्लिनरी कॉलेज में ही करवाया जा सकेगा। यानी ऐसा कॉलेज जहां बीएड के साथ-साथ अन्य डिग्री कोर्स (जैसे बीए, बीएससी, बीकॉम आदि) भी चल रहे हों। चलिए जानतें हैं इस बदलाव के बारे में पूरी जानकारी, अनुरोध है की इस लेख के साथ अंतिम तक बने रहें।
इसे भी पढ़ें:- EPFO New Rules: 5 बड़े बदलाव जो अभी EPFO खाताधारकों को जानना जरुरी है
B.Ed Course Rules Change News
जिन बीएड कॉलेजों की दूरी 3 से 10 किलोमीटर के अंदर है, उन्हें अब पास के किसी बड़े डिग्री कॉलेज में मिला (Merge) दिया जाएगा। ऐसे कॉलेज अब खुद से अकेले बीएड की पढ़ाई नहीं करवा पाएंगे, बल्कि उन्हें किसी और कॉलेज के साथ मिलकर काम करना होगा। पूरे भारत में लगभग 15,000 से ज्यादा बीएड कॉलेज हैं।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की नई योजना है कि सभी कॉलेजों को साल 2030 तक मल्टी-डिसीप्लिनरी कॉलेजों में बदला जाए, ताकि छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सके। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने यह फैसला छात्रों के हित के लिए किया गया है।
इतने छात्रों को मिलेगा एडमिशन
एडमिशन को लेकर भी बड़े बदलाव किये गए हैं। अब हर बीएड कोर्स में 50 छात्रों को ही दाखिला दिया जाएगा। इससे पढ़ाई की गुणवत्ता बनी रहेगी और शिक्षकों पर काम का बोझ भी कम होगा। इन नए नियम के तहत B.Ed कॉलेजों को मिली थोड़ी राहत, जो बीएड कॉलेज बंद होने की कगार पर हैं, या जिनके पास पर्याप्त छात्र और संसाधन नहीं हैं — उनके लिए एक विकल्प रखा गया है।
ऐसे कॉलेज अपने आसपास के किसी बड़े कॉलेज के साथ मिलकर बीएड की पढ़ाई को जारी रख सकते हैं। इसके लिए दोनों कॉलेजों को आपसी समझौता (Agreement) करना होगा, और फिर वे एक-दूसरे के संसाधनों जैसे शिक्षक, भवन, पुस्तकालय आदि का साझा उपयोग कर सकेंगे।
इसे भी पढ़ें:- UP Outsourcing: सेवायोजन पोर्टल से नहीं होगी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की भर्ती , आउटसोर्स निगम के गठन पर विभागों के परामर्श
आखिर इस बदलाव का मकसद क्या है
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के द्वारा इस बदलाव का सीधा सीधा मतलब है शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारना। ऐसे कॉलेज जो केवल बीएड कोर्स चला रहे थे और बाकी किसी डिग्री की पढ़ाई नहीं होती थी, उन्हें मल्टी-डिसीप्लिनरी बनाना। छात्रों को बेहतर शैक्षिक माहौल देना, ताकि वे सिर्फ डिग्री न लें बल्कि व्यवहारिक ज्ञान भी प्राप्त करें। ऐसे छोटे कॉलेज जो आर्थिक कारणों से बंद हो सकते हैं, उन्हें बचाने के लिए उन्हें बड़े कॉलेजों से जोड़ना।
Leave a Reply