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  • Contract Employees Good News: यूपी में 9 लाख आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, बढ़ा मानदेय!

    Contract Employees Good News: यूपी में 9 लाख आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, बढ़ा मानदेय!

    Contract Employees Good News: उत्तर प्रदेश के 9 लाख से ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए राहतभरी खबर सामने आई है। सरकार द्वारा “आउटसोर्स सेवा निगम” बनाने की तैयारी की जा रही है। लेकिन कर्मचारियों को अभी तक इसकी मंजूरी और वेतन बढ़ोतरी का इंतजार है। आइए इस लेख में हम जानेंगे इस आउटसोर्स कर्मचारियों से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातों और लेटेस्ट अपडेट के बारे में अंत तक बने रहें।

    रिपोर्ट के अनुसार लगभग 1. 9 लाख आउटसोर्स कर्मचारियों को इंतजार। अभी वर्तमान में उत्तर प्रदेश में लगभग 9 लाख से अधिक आउटसोर्स कर्मचारी मौहूद हैं। काफी समय से तमाम कर्मचारी ये “आउटसोर्स सेवा निगम” बनने का इंतजार कर रहे हैं। इस निगम की घोषणा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने करीब 4 महीने पहले की थी।

    आउटसोर्स सेवा निगम का गठन अभी तक नहीं हुआ

    आपको बता दें की आदित्यनाथ के द्वारा इस निगम को घोषित किये हुए लगभग 4 महीने बीत चुके हैं लेकिन अभी तक आउटसोर्स सेवा निगम का गठन नहीं हुआ है। इसे लेकर संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। पत्र में मांग की गई है कि निगम का गठन जल्द किया जाए और कर्मचारियों का मानदेय बढ़ाया जाए।

    कर्मचारियों द्वारा वेतन बढ़ोतरी और समायोजन की मांग: जितने भी आउटसोर्स कर्मचारी है वह चाहते हैं कि सरकार न्यूनतम वेतन निर्धारण करके शासनादेश (G.O.) जारी करे। साथ ही, अन्य राज्यों की तरह यूपी में भी आउटसोर्स कर्मचारियों का समायोजन किया जाए। कर्मचारी कह रहे हैं कि वे 5 साल से ज्यादा समय से काम कर रहे हैं, इसलिए उन्हें विभाग में रिक्त पदों पर स्थाई किया जाए।

    कर्मचारियों का कहना है कि निगम में उनके समायोजन का कोई विकल्प नहीं रखा गया है। सरकार सिर्फ सेवा प्रदाता फर्मों को निगम में जोड़ना चाहती है, जिससे कर्मचारियों को कोई बड़ा लाभ नहीं मिलेगा। 2005 से पहले के संविदा कर्मचारी पहले ही समायोजित हो चुके हैं, अब 2005 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को भी स्थायीत्व मिलना चाहिए।

    कर्मचारियों का वेतन की नई स्लैब आएगा

    मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रस्तावित निगम में न्यूनतम वेतन ₹18,000 और अधिकतम ₹25,000 तय किया गया है (कार्य श्रेणी के अनुसार)। लेकिन वेतन अब भी एजेंसियों के जरिए देने की बात कही गई है, जिससे कर्मचारी नाराज़ हैं। उनकी मांग है कि वेतन सीधा निगम से दिया जाए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

    आउटसोर्स सेवा निगम की स्थिति

    मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आउटसोर्स सेवा निगम का प्रारूप तैयार कर लिया गया है। अब इसे कैबिनेट मीटिंग में पास कराने की तैयारी चल रही है। प्रारूप मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास भेजा गया है, उनकी सहमति के बाद यह मीटिंग में रखा जाएगा। कर्मचारियों को आशंका है कि वर्तमान नियमों से उन्हें कोई बड़ा लाभ नहीं मिलेगा, इसलिए वे बदलाव की मांग कर रहे हैं।

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    ओउटसोर्से कर्मचारियों की मुख्य मांगें

    मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आउटसोर्स सेवा निगम का गठन तुरंत किया जाए। वेतन बढ़ाकर सीधा निगम से दिया जाए, एजेंसी हटाई जाए। कर्मचारियों को विभाग में रिक्त पदों पर समायोजित किया जाए। 2005 के बाद के संविदा कर्मियों को भी स्थायीत्व दिया जाए। निगम के नियमों में संशोधन कर कर्मचारियों के हितों को प्राथमिकता दी जाए।

  • Contract Employees Regularization Update: संविदा कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, हाईकोर्ट का बड़ा आदेश

    Contract Employees Regularization Update: संविदा कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, हाईकोर्ट का बड़ा आदेश

    Contract Employees Regularization Update: उत्तर प्रदेश के तमाम संविदा कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण अपडेट सामने आया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है। संविदा कर्मचारियों को मिलेगा नियमितीकरण का हक। क्या है पूरा मामला आइए जानतें हैं इस लेख के माध्यम से, लेख में सबकुछ विस्तारपूवर्क समझाया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संविदा (Contract) कर्मचारियों को नियमित (Regular) करने के मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी संविदा कर्मचारी ने लंबे समय तक लगातार सेवा दी है, तो उसे सरकारी सेवा में नियमित करने का अधिकार है।

    आपमें से काफी लोग ऐसे होंगे की ये किस मामले में आया ये फैसला, तो आपको बता दें की यह मामला आगरा के सरकारी उद्यान विभाग में माली (मालियों) के रूप में काम कर रहे संविदा कर्मियों से जुड़ा है। याचिकाकर्ता जैसे कि महावीर सिंह और पांच अन्य, वर्ष 1998 से 2001 के बीच सेवा में आए और तब से लगातार काम कर रहे थे।

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने क्या कहा

    यदि कर्मचारी ने निरंतर सेवा की है, तो उसे नियमित करने से इनकार नहीं किया जा सकता। यदि किसी कर्मचारी को कृत्रिम अवकाश (Artificial Break) या विभागीय आदेश के कारण ड्यूटी से हटाया गया हो, तो उसे निरंतर सेवा में रुकावट नहीं माना जाएगा। यह फैसला न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरी की खंडपीठ ने सुनाया।
    कोर्ट ने आदेश दिया कि चयन समिति को कर्मचारियों की याचिका का फिर से निष्पक्ष रूप से विचार करना चाहिए। कर्मचारियों का पक्ष सुनकर दोबारा फैसला लिया जाए कि उन्हें नियमित किया जा सकता है या नहीं।

    कोर्ट ने कहा कि भारत का संविधान सभी को समान अवसर देता है (अनुच्छेद 16)। यदि कर्मचारी लंबे समय से सेवा कर रहे हैं और उन्हें नियमों के तहत रेगुलर नहीं किया गया, तो यह संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है। कर्मचारियों ने 12 सितंबर 2016 की अधिसूचना के अनुसार रेगुलर होने के लिए आवेदन किया था, लेकिन उनका आवेदन अस्वीकार कर दिया गया था। पहले हाईकोर्ट की एकल पीठ ने उन्हें राहत देने से मना कर दिया था।

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    आखिर क्या है पूरा मामला

    14 अक्टूबर 2019 को उद्यान विभाग के उपनिदेशक ने यह कहकर कर्मचारियों के नियमितीकरण के आवेदन को खारिज कर दिया था कि वे बीच-बीच में छुट्टी लेते रहे थे। कोर्ट ने इस आधार को अमान्य मानते हुए कहा कि अगर कर्मचारी 2004-05 से लगातार काम कर रहे हैं और उनकी नियुक्ति की तारीख की जानकारी विभाग के पास नहीं है, तब भी उन्हें नियमितीकरण का अधिकार मिलना चाहिए।

    अगर किसी कर्मचारी को विभाग द्वारा काम से रोका गया है, और ब्रेक स्वैच्छिक नहीं बल्कि जबरन है, तो उसे निरंतरता में बाधा नहीं माना जाएगा।

  • संविदा कर्मचारियों की नौकरी स्थाई करने का आदेश, हाई कोर्ट ने हरा झंडा दिखाया- Contract Employees Regularization

    संविदा कर्मचारियों की नौकरी स्थाई करने का आदेश, हाई कोर्ट ने हरा झंडा दिखाया- Contract Employees Regularization

    Contract Employees Regularization: उत्तरा प्रदेश के जितने भी संविदा कर्मचारियों / Contract Employees हैं उनके लिए बहुत ही खुशखबरी का अपडेट सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार लाखों संविदा कर्मचारियों को मिली बड़ी राहत। आपको बता दें की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि उत्तर प्रदेश के जितने भी संविदा कर्मचारी जो लंबे समय से संविदा पर काम कर रहे हैं, उन्हें नियमित यानि की स्थायी किया जाए। हाई कोर्ट का ये फैसला राज्य के लाखों संविदा कर्मियों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। क्या है पूरा मामला? हाई कोर्ट ने क्यों आदेश दिया? इससे क्या फायदा मिलेगा कर्मचारियों को आइये जानतें हैं लेख के माध्यम से, हमने विस्तारपूर्वक समझाया है।

    किन संविदा कर्मचारियों को फायदा मिलेगा

    जी कर्मचारी कई वर्षों से संविदा पर काम कर रहे है उनको मिलेगा फायदा। हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि कोई कर्मचारी लगातार कई सालों से सेवा दे रहा है और विभाग को उसकी जरूरत है, तो उसे सिर्फ अस्थायी मानकर अनदेखा नहीं किया जा सकता। ऐसे कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारियों की तरह सुविधाएं मिलनी चाहिए। मेदे रिपोर्ट के अनुसार हाई कोर्ट ने यह ज़ोर देते हुए कहा कि जो संविदा कर्मी स्थायी कर्मचारियों जैसा काम कर रहे हैं, उन्हें भी उसी के अनुसार वेतन और सुविधाएं मिलनी चाहिए। अगर लंबे समय तक काम करने के बाद भी उन्हें अस्थायी रखा जाए, तो यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन होगा। हाई कोर्ट के इस फैसले से लाखों संविदा कर्मचारियों को फायदा मिलेगा।

    इससे किस-किस विभाग को मिलेगा फायदा

    आपको बता दें की राज्य के जिन विभागों में संविदा कर्मचारी काम कर रहे हैं, उनमें शामिल हैं: शिक्षा विभाग (शिक्षक), स्वास्थ्य विभाग (नर्स), पंचायत और ग्रामीण विकास, बिजली विभाग, नगर निगम, अन्य विभाग (जैसे कंप्यूटर ऑपरेटर, लेखा सहायक, तकनीकी स्टाफ आदि) इन सभी विभागों में लाखों कर्मचारी सालों से कम वेतन पर सेवा दे रहे हैं। हाई कोर्ट के आर्डर के बाद अब इनको स्थाई करने की बात चल रही है।

    कर्मचारियों को क्या क्या लाभ मिलेगा

    मुझे पता है आप में से कोई लोग यही सोच रहे होंगे की इस फैसले के बाद संविदा कर्मचारियों को क्या क्या फायदा मिलेगा। आपको बता दें की अगर कर्मचारियों को नियमित किया गया, तो इन कर्मचारियों को मिल सकते हैं: औरो के जैसा स्थायी नौकरी की सुरक्षा, पीएफ, ग्रेच्युटी, पेंशन जैसी सुविधाएं मिलेगी। चिकित्सा और सामाजिक सुरक्षा का लाभ दिया जाएगा।

    हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद तमाम संविदा कर्मचारियों में खुशी और उम्मीद की लहार चलने लगी। संविदा संघों ने इस निर्णय को ऐतिहासिक बताया और सरकार से जल्द लागू करने की मांग की है। हालांकि अभी तक कोई भी अपडेट सामने नहीं आया है की इस नए नियम को लागू कब किया जायेगा लेकिन मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बहुत जल्द लागू होगा।