UPI NPCI New Rule: आज का यह आर्टिकल उन सभी लोगों के लिए महत्वपूर्ण होगा जो ऑनलाइन पेमेंट का इस्तमाल ज्यादा करतें हैं। आज के इस डिजिटल युग में हम पैसे की लें देन के लिए सबसे ज्यादा UPI (PhonePe, Google Pay, Paytm आदि) का इस्तमाल करतें हैं। दूकान से 10 रूपये की चीज़ से लकेर 10 हज़ार रूपये की खरीद के लिए हम बेझिजक UPI का इस्तमाल करतें हैं। लेकिन दिक्कत वहाँ आती है जब हम गलती से पैसा किसी और के वजय किसी और को भेज देतें हैं, यानी की गलत पैसा ट्रांसफर कर देतें हैं। ऐसे में आपका पैसा वापस मिलना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्युकी NPCI यानि की नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने इसका समाधान निकाल दिया है। NPCI ने नया नियम लागू किया है, आइए जानतें हैं इस नए नियम के बारे में तो अंत तक बने रहें।
क्या है NPCI का नया नियम
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अगर आप किसी को पेमेंट करते हैं और किसी कारण वश आपका पैसा है गलत अकाउंट या यूपीआई आईडी में ट्रांसफर हो जाता है या आप कोई धोखाधड़ी या फेल ट्रांजैक्शन का शिकार बन जाते हैं तो बैंक आपकी सहायता करेगा। अबसे बैंक NPCI से अनुमति लिए बिना ही ग्राहक के पैसे की कार्रवाई कर सकता है
आपको बता दें की इस केस में बैंक अब सीधे चार्जबैक की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। NPCI ने अपने नए सर्कुलर (नंबर 184B/2025-2026) में साफ़ साफ़ कहा है कि बैंक अब “Good Faith” (अच्छी नीयत) से ऐसे मामलों में ग्राहक को पैसा लौटाने के लिए चार्जबैक खुद शुरू कर सकते हैं। इस नए नियम से पहले बैंक को NPCI से अप्रूवल लेना पड़ता था उसके बाद बैंक कोई कदम उठता था, जिससे समय लगता था। लेकिन अब ऐसा है होगा NPCI ने साफ़ साफ़ ऐलान कर दिया है की बैंक द्वारा अब ये प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू होगा।
पहले की दिक्कत और अब नया बदलाव की स्थिति
बात करें इस नए नियम से पहले की तो पहले अगर किसी अकाउंट/UPI ID से लगातार चार्जबैक रिजेक्ट हो रहे थे, तो NPCI का सिस्टम “नेगेटिव चार्जबैक दर” (CD1 या CD2 कोड) दिखाकर आगे बढ़ने से रोक देता था। बैंक को NPCI से फिर से मंजूरी मांगनी पड़ती थी। इस प्रक्रिया में समय लगता था और ग्राहकों को काफी इंतजार करना पड़ता था।
अब नया नियम के बदलाव के बाद ऐसा नहीं होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ NPCI ने इस नई व्यवस्था जिसका नाम है – RGNB (Remitting Bank Raising Good Faith Negative Chargeback) को लाया है। इसका मतलब – बैंक अब अपने स्तर पर जांच करके यदि लगता है कि ग्राहक सही है, तो वो CD1/CD2 वाले रिजेक्टेड चार्जबैक को फिर से उठा सकते हैं। NPCI से पहले परमिशन लेने की जरूरत नहीं।
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नया नियम कब से लागू किया जाएगा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार NPCI द्वारा यह नया नियम 15 जुलाई 2025 से पूरे भारत में लागू कर दिया जाएगा। NPCI ने इस नए नियम के लिए कुछ चेतावनी के बारे में भी बताया है। आपको बता दें की यह सुविधा सिर्फ सही और जांचे-परखे मामलों में ही इस्तेमाल की जानी चाहिए। NPCI ने यह चेताया दी है कि अगर कोई बैंक इस सिस्टम का दुरुपयोग करेगा, तो उसे जुर्माना देना पड़ सकता है और यह NPCI के नियमों का उल्लंघन माना जाएगा। उल्लंघन करने पर उसपर कार्रवाई भी की जा सकती है।
आखिर क्यों जरूरी था ये नया नियम
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2025 में हर महीने UPI के ज़रिए लघभग 11.4 बिलियन से ज्यादा लेनदेन की जाती है। अगर इतने बड़े ट्रांजैक्शन वॉल्यूम में अगर थोड़ी सी भी कोई गलती हो जाती है तो इस केस में लाखों लोग प्रभावित हो सकते हैं। NPCI द्वारा लाए गए इस नया नियम से लाखों यूजर्स को राहत मिलेगा, जो गलती से हुए या धोखाधड़ी वाले लेनदेन में फंसे होते हैं।