Contract Employees Regularization Update: संविदा कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, हाईकोर्ट का बड़ा आदेश

Contract Employees Regularization Update

Contract Employees Regularization Update: उत्तर प्रदेश के तमाम संविदा कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण अपडेट सामने आया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है। संविदा कर्मचारियों को मिलेगा नियमितीकरण का हक। क्या है पूरा मामला आइए जानतें हैं इस लेख के माध्यम से, लेख में सबकुछ विस्तारपूवर्क समझाया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संविदा (Contract) कर्मचारियों को नियमित (Regular) करने के मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी संविदा कर्मचारी ने लंबे समय तक लगातार सेवा दी है, तो उसे सरकारी सेवा में नियमित करने का अधिकार है।

आपमें से काफी लोग ऐसे होंगे की ये किस मामले में आया ये फैसला, तो आपको बता दें की यह मामला आगरा के सरकारी उद्यान विभाग में माली (मालियों) के रूप में काम कर रहे संविदा कर्मियों से जुड़ा है। याचिकाकर्ता जैसे कि महावीर सिंह और पांच अन्य, वर्ष 1998 से 2001 के बीच सेवा में आए और तब से लगातार काम कर रहे थे।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने क्या कहा

यदि कर्मचारी ने निरंतर सेवा की है, तो उसे नियमित करने से इनकार नहीं किया जा सकता। यदि किसी कर्मचारी को कृत्रिम अवकाश (Artificial Break) या विभागीय आदेश के कारण ड्यूटी से हटाया गया हो, तो उसे निरंतर सेवा में रुकावट नहीं माना जाएगा। यह फैसला न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरी की खंडपीठ ने सुनाया।
कोर्ट ने आदेश दिया कि चयन समिति को कर्मचारियों की याचिका का फिर से निष्पक्ष रूप से विचार करना चाहिए। कर्मचारियों का पक्ष सुनकर दोबारा फैसला लिया जाए कि उन्हें नियमित किया जा सकता है या नहीं।

कोर्ट ने कहा कि भारत का संविधान सभी को समान अवसर देता है (अनुच्छेद 16)। यदि कर्मचारी लंबे समय से सेवा कर रहे हैं और उन्हें नियमों के तहत रेगुलर नहीं किया गया, तो यह संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है। कर्मचारियों ने 12 सितंबर 2016 की अधिसूचना के अनुसार रेगुलर होने के लिए आवेदन किया था, लेकिन उनका आवेदन अस्वीकार कर दिया गया था। पहले हाईकोर्ट की एकल पीठ ने उन्हें राहत देने से मना कर दिया था।

आखिर क्या है पूरा मामला

14 अक्टूबर 2019 को उद्यान विभाग के उपनिदेशक ने यह कहकर कर्मचारियों के नियमितीकरण के आवेदन को खारिज कर दिया था कि वे बीच-बीच में छुट्टी लेते रहे थे। कोर्ट ने इस आधार को अमान्य मानते हुए कहा कि अगर कर्मचारी 2004-05 से लगातार काम कर रहे हैं और उनकी नियुक्ति की तारीख की जानकारी विभाग के पास नहीं है, तब भी उन्हें नियमितीकरण का अधिकार मिलना चाहिए।

अगर किसी कर्मचारी को विभाग द्वारा काम से रोका गया है, और ब्रेक स्वैच्छिक नहीं बल्कि जबरन है, तो उसे निरंतरता में बाधा नहीं माना जाएगा।

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