UP Shikshak Shiksha Mitra Good News: उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के सभी शिक्षक और शिक्षामित्र के लिए बड़ा महत्वपूर्ण अपडेट सामने आया है। जैसा की आपको पता होगा की की उत्तर प्रदेश में स्कूल गर्मी की छुट्टियाँ 20 मई 2025 से लकर 15 जून 2025 तक होने वाली हैं। इस दौरान हर साल की तरह इस बार की स्कूलों में “समर कैंप” चलाने की योजना बनाई गई है। लेकिन इस पर विवाद खड़ा हो गया है, खासकर शिक्षामित्रों और अनुदेशकों की तरफ से। आइए, इस पूरे मामले को आसान शब्दों में समझते हैं, पूरा अपडेट जानने के लिए आपसे अनुरोध है की इस आर्टिकल के साथ अंत तक बने रहें और कोई भी अफवाह भी यकीन ना करें।
आखिर क्या है ये समर कैंप विवाद
गर्मी की छुट्टियों में सरकार चाहती है कि स्कूलों में छात्रों के लिए समर कैंप चलाया जाए। सरकारी स्कूलों के नियमित शिक्षकों को इसमें शामिल होना है या नहीं, ये उनकी इच्छा पर छोड़ा गया है। अगर वे चाहें तो हिस्सा ले सकते हैं — और उन्हें इसके बदले अतिरिक्त पैसा और छुट्टी भी मिलेगी।
लेकिन इस दौरान इसमें विवाद तब खड़ा हो गया जब शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को इस समर कैंप में जबरन यानी की जबरजस्ती शामिल किया जा रहा है, जिससे वे नाराज़ हैं। शिक्षामित्रों का मानना है की इस तापा देने वाली गर्मी में स्कूल में बच्चों को बुलाना ठीक नहीं, क्योंकि इससे उनकी सेहत खराब हो सकती है।
जब नियमित शिक्षकों को छुट्टी मिल रही है, तो सिर्फ शिक्षामित्रों से काम लेना भेदभाव जैसा है। शिक्षामित्रों ने दिया बड़ा बयान “उनका कहना है कि उन्हें जून का वेतन भी नहीं मिलता, फिर भी उनसे काम करवाया जा रहा है”।
बड़े संगठन और नेताओं का क्या कहना है
शिक्षक संगठनों ने कहा: गर्मी में स्कूलों में बच्चे आते नहीं। गाँवों में बिजली की कमी है और स्कूलों में जरूरी संसाधन भी नहीं हैं। जब गर्मी सबको लगती है, तो शिक्षामित्रों को ही ड्यूटी क्यों?
राम सागर (शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन) ने कहा: सरकार ये बताये कि क्या शिक्षामित्रों को लू नहीं लगती? यह पूरी तरह से स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है।
समर कैंप के लिए क्या क्या व्यवस्था नयुक्त की गई है
स्कूलों में गर्मी की छुटियाँ 21 मई 2025 से लेकर 15 जून 2025 तक है और इसी के बीच समर कैंप चलाया जाएगा। इस समर कैंप में शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को ही तैनात किया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हर स्कूल को: ₹6000 मानदेय (श्रम के लिए), और ₹2000 स्टेशनरी खर्च (कॉपी-किताब आदि) के लिए दिए जाएंगे।
इस विवाद पर बड़े संगठन क्यों चुप हैं
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ और बीटीसी शिक्षक संघ जैसे बड़े संगठन अभी तक चुप हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर कोई समर्थन या विरोध नहीं जताया है। शिक्षामित्रों का आरोप है कि: सरकार कमज़ोर कर्मचारियों पर ज़्यादा ज़ोर डाल रही है। शिक्षक तो घूमने जाते हैं, और उनसे कहा जा रहा है कि समर कैंप चलाओ – ये असमानता है।
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